अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन छार लगाये ॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥ मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अ�
अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन छार लगाये ॥ प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला । जरे सुरासुर भये विहाला ॥ मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अ�